एक बार की बात

✍️ कहानी ✍️

🌹 शीर्षक 🌹

“एक बार की बात”

एक बार की बात है। एक बड़े ही प्रसिद्ध प्रतिष्ठित विद्यालय के प्रधानाध्यापक महोदय विद्यालय के सफाई कर्मचारी को बहुत ही भद्दी और अपमानजनक भाषा में डांट रहे थे। क्योंकि उसने श्रीमान प्रधान अध्यापक की जी हुजूरी में कुछ कोताही बरती थी, मैं उन दिनों स्थाई अध्यापक नहीं हुआ करता था, अपने और अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मैं भी उसी प्रतिष्ठित विद्यालय में अंशकालिक तौर पर अध्यापन कार्य करता था और अपनी और अपने बच्चों की जीविका उपार्जन के लिए कुछ ट्यूशन कर लिया करता था। इत्तेफाक से यह वाक़या मेरी आंखों के सामने गुजर रहा था कि, अचानक वहां उसी विद्यालय के एक वरिष्ठ अध्यापक आ पहुंचे प्रधान अध्यापक महोदय ने अध्यापक महोदय की ओर देखते हुए सफाई कर्मचारी को बहुत ही भद्दा संबोधन करते हुए अत्यंत गर्म लहजे में कहा कि यह सफाई कर्मचारी जिसको इस जरा से काम के लिए मोटी तनख्वाह मिलती है यह कार्य ₹500 प्रति माह में कोई भी कर सकता है, और अध्यापक महोदय से इसकी हामी भरवानी चाही। वाकपटुता एवं शिक्षण कार्य में निपुण आदरणीय अध्यापक महोदय ने इसके प्रतिउत्तर में जो लाजवाब शब्द कहे वो आज तक मेरे हृदय में संकलित हैं, और सदैव आदरणीय अध्यापक महोदय को प्रणाम करते रहते हैं, उन्होंने कहा, श्रीमान प्रधान अध्यापक महोदय जिस कार्य को आप कर रहे हैं इसे मैं मुफ्त में कर सकता हूं बिना किसी तनख्वाह के ₹500 की भी आवश्यकता न होगी। प्रधानाध्यापक महोदय का चेहरा देखने लायक था, बस मैं इतना ही सुन सका था, उसके पश्चात में अपनी कक्षा में चला गया।

लेखक : विनय आजाद

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