गम (तरक्की)


✍️गम (तरक्की)✍️
मुझको  दुनिया  की, इस  बात पर रोना आया
मरा  भूखा,  तो  मखमल  का  बिछोना  आया
✍️✍️
रात कटती थी, दिन  के अंगार  लिए आंखों में
बड़ी  मुश्किल  से,  उसे  चैन  से  सोना  आया
✍️✍️
चलो  मर  कर  ही  सही, तुमको  दया तो आई
उसके  बच्चों की, तश्तरी में  तो  खाना  खाया
✍️✍️
कभी बैलों  से थे बाबस्ता,अब  खुद बैल हैं हम
वक्त  बदला  तो, फिर यूं  बदला  जमाना आया
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गम  तरक्की है, तरक्की की  नाशानी है “विनय”
गम की तासीर से,तुमको भी कुछ लिखना आया
#विनय_आजाद #yqdidi #yqhindi #writervinayazad #गम #तरक्की 
 
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