रिश्ते नाते

 
✍️ रिश्ते-नाते ✍️

कोई जरा छींके भी तो डर लगता है

हर तरफ उसका ही असर लगता है

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अक्सर चुप हो जाता हूं मैं ये कह कर

मुझको भी सच कहने से डर लगता है

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हर पहरे पर बच्चों सी नादानी है

उनकी बातें हैं या खींचातानी है

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नई नवेली दुल्हन जैसे नाजुक हैं

बात करो तो बातों से डर लगता है

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अब ये दुनिया रिश्तों से कंगाल विनय

नजदीकी नातों से भी डर लगता है

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