मुचका (कहानी)

✍️ कहानी ✍️
🌹 शिर्षक 🌹
“मुचका”
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!हे तरक्की ये, तूने ये क्या कर दिया!
!!आदमी के मुंह पर, मुचका धर दिया!!
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एक गांव में एक बड़ा ही महनती किसान रहता था। उसके पास अपनी खुद की बैलों की जोड़ी, भैंसें, गाय, इत्यादि खेती-बाड़ी का सभी सामान अपना था। कठिन परिश्रम से उसने अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए गाढ़ा धन अर्जित किया। समय बीतता गया किसान अब बूढ़ा हो चला था उसने सारी जिम्मेदारी भली-भांति अपने बेटे को सौंप दी और आराम से जीवन व्यतीत करने लगा। बेटे किसान से भी अधिक मेहनती और कर्मठ थे उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और अधिक जमीन खरीद ली कई जोड़ी बैल और दुधारू इत्यादि जानवर भी एकत्रित कर लिए एक रोज उन्होंने देखा कि कुछ जानवर और लवारे (जानवर के बच्चे) जमीन चाट रहे थे, कुछ एक दूसरे के चारे में मुंह मार रहे थे, कुछ पेट भरा होने के बावजूद भी अनाप-शनाप खाए जा रहे थे। किसान के बेटे यह देखकर परेशान हो गए और समस्या का समाधान के लिए अपने पिता के पास गए, पिता ने मुस्कुराते हुए एक मुचका (जानवर के मुंह पर बांधे जाने वाला) बेटे को दे दिया और कहा कि इसे जानवर के मुंह पर बांध देना, ना जमीन चाट पाएगा, ना इधर-उधर को मुंह मार पाएगा और ना अनावश्यक खा पाएगा। फिर क्या था बेटे ने सभी जानवरों के लिए एक-एक मुचका तैयार करवा दिया और आवश्यकतानुसार बांध दिया करता था। परंतु मेहनत और तरक्की का कोई अंत नहीं मेहनत होती गई तरक्की होती गई। परिवार बढ़ता गया कुछ बच्चे शहर चले गए धीरे-धीरे जानवरों का स्थान ट्रैक्टर इत्यादि मशीनरी ने ले लिया समय बदला आसपास के जंगलों में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां स्थापित हो गई, लेकिन उनके कारण हवा जहरीली हो गई, वातावरण दूषित हो गया अब आसपास के लोग इतने विकसित हो चुके थे। कि, वह साधारण खाना पीना छोड़ कर अच्छे-अच्छे पकवान और मांस मछली का सेवन भी करने लगे थे। एक समय ऐसा भी आया कि जो हाथ लगता उसे खा लेते, जो हाथ लगता उसको चाट लेते, उपभोग की कोई सीमा नहीं रही। फिर क्या था चारों ओर आनन्द ही आनन्द था। लेकिन यह आनंद ज्यादा समय तक नहीं रह सका अनाप-शनाप खाने-पीने ने बीमारियों को जन्म दे दिया। एक दूसरे को छूने और नजदीक आने मात्र से ही संक्रमण का खतरा पैदा हो गया। समस्या बढ़ती देख किसान के बेटे ने शहर में रहने वाले अपने भाइयों से संपर्क किया, तो उन्होंने संक्रमण से बचाव के लिए कुछ मास्क भेज दिए। (शहर में मास्क पहले से प्रचलित थे, वहां तो संक्रमण पहले ही पहुंच चुका था)। कि, इन्हें मुंह पर ठीक से बांध लें, संक्रमण से बचाव के लिए बहुत आवश्यक है। बूढ़ा किसान यह देख कर आश्चर्यचकित और उदास था। कि, आदमी की तरक्की हो चुकी थी, अब वह जानवर बन चुका था।
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!हे तरक्की तूने, ये क्या कर दिया!
!!आदमी के मुंह पर, मुचका धर दिया!!” 
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लेखक:- विनय_आजाद
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