असलियत

✍️असलियत✍️

उस चांद को पकड़कर, यहां लाया जाए

टेक्स उससे भी, टहलने का भराया जाए

फलसफा इश्क का, यूं भी तो गुजर सकता है

नशीली आंख पर, सरचार्ज लगाया जाए

हर मुसीबत का, इंतजाम अब जरूरी है

सबकी जेबों का, कत्लेआम अब जरूरी है

कौन सी तह में, कितनी है अब रसद बाकी

आईना बांधकर, जेबों पे बिठाया जाए

क्या जरूरी है, गरीबों को बख्श दें यूं ही

इन गरीबों को भी, अब होश में लाया जाए

रोज ये, सैकड़ों मजदूरी झपट लेते हैं

शाही फुटपाथ पर, बेदाम मज़ा लेते हैं

कैसी होती है, गरीबी की हकीकत ए-“विनय”

असलियत पी के इनका खून बताया जाए

#विनय_आजाद #गरीबी #असलियत  

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